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नई दिल्ली: I.N.D.I.A गठबंधन की अगुवाई कौन करेगा, इस सवाल का जवाब लोकसभा चुनाव के पहले नहीं मिला लेकिन नतीजों के बाद इसका आधा जवाब मिला। जवाब भी आधा ऐसा जिसे खुलकर कोई नहीं बोल रहा था लेकिन राहुल गांधी चर्चा के केंद्र में आ गए। लोकसभा चुनाव से पहले जहां बीजेपी की ओर से 400 पार की बात की जा रही थी लेकिन नतीजों के बाद वह अपने दम पर बहुमत से भी पीछे रह गई। नतीजों ने विपक्ष में एक जोश भर दिया और इसके केंद्र में राहुल गांधी आ गए। जून के महीने में जैसे गर्मी का पारा चढ़ता है कुछ वैसा ही लोकसभा नतीजों के बाद तेजी से राहुल गांधी का ग्राफ चढ़ता है।हालांकि अक्टूबर आते-आते जैसे मौसम बदलता है ठीक वैसा ही कुछ राहुल गांधी के साथ दिखाई पड़ रहा है। अक्टूबर में हरियाणा और नवंबर में महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों के बाद I.N.D.I.A गठबंधन में ही राहुल गांधी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं और इंडिया गठबंधन के सामने भी कई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
मॉनसून सत्र से शीतकालीन सत्र आते ही सब कुछ बदल गया
लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद मॉनसून सत्र में जहां पूरा विपक्ष एकजुट दिखाई दे रहा था वही शीतकालीन सत्र आते मानो विपक्षी एकता की गर्माहट गायब हो गई। पहले हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में हार के बाद कांग्रेस पर सबसे बड़ा अटैक टीएमसी की ओर से किया जाता है। टीएमसी की ओर से कहा गया कि अब वक्त आ गया कि ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन की अगुवाई करनी चाहिए। इतना ही नहीं अडानी मुद्दे पर जहां कांग्रेस ने मोर्चा खोला तो वहीं टीएमसी पीछे हटते हुए दिखी। कांग्रेस को टीएमसी का बिल्कुल भी साथ नहीं मिला। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में इंडिया गठबंधन के कामकाज पर असंतोष व्यक्त किया और मौका मिलने पर इसकी कमान संभालने के अपने इरादे का संकेत भी दिया।
समाजवादी पार्टी को रास नहीं आ रहा कांग्रेस का स्टैंड
अडानी मुद्दे को जहां कांग्रेस की ओर से उठाया जा रहा है वहीं समाजवादी पार्टी खुलकर इस मुद्दे पर उसके साथ खड़ी नहीं दिख रही है। कांग्रेस सांसदों के विरोध प्रदर्शन में भी सपा के सांसद नजर नहीं आए। यूपी उपचुनाव में ही दोनों के बीच कड़वाहट देखने को मिली भले ही खुलकर किसी भी दल की ओर से कुछ नहीं बोला गया। वहीं अब संभल मुद्दे पर सपा को कांग्रेस का स्टैंड बिल्कुल भी रास नहीं आया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संभल जाने की कोशिश सपा को रास नहीं आई। सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि कांग्रेस संसद में संभल मुद्दे को उठा नहीं रही और राहुल गांधी संभल जा रहे हैं। टीएमसी और सपा के साथ ही इंडिया गठबंधन के कुछ और साथी भी कांग्रेस का बिना नाम लिए सवाल उठा रहे हैं।
ममता और केजरीवाल अलग राह पर
टीएमसी सवाल खड़े कर रही है तो वहीं अरविंद केजरीवाल भी पुरानी राह पर लौटते हुए दिखाई दे रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा हुई लेकिन गठबंध नहीं हुआ। जब नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो कांग्रेस पर सवाल उठे। कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के दूसरे दलों ने नसीहत दी कि यदि साथी दलों को मिलाकर लड़े होते तो नतीजे कुछ बेहतर होते। पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की करारी हार के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी की ओर से पहले ही यह ऐलान कर दिया गया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा और पार्टी अकेले लड़ेगी। लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस और AAP मिलकर लड़े थे तो वहीं विधानसभा चुनाव में एक दूसरे पर तीर चलाए जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन तो दूर इसकी बात भी कोई नहीं करना चाह रहा।
बीजेपी अपनी पिच पर खिलाने लगी विपक्ष को
राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि राहुल गांधी इंडिया गठबंधन में अपने हिसाब से राजनीति करना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि पूरा विपक्ष अडानी मुद्दे पर उनकी हां में हां मिलाए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। सपा और टीएमसी वैसे भी कांग्रेस की इस वाली राजनीति से सहमत नहीं। विपक्ष के भीतर भी एक विपक्ष नजर आ रहा है। बीजेपी कभी नहीं चाहेगी कि पूरा विपक्ष किसी मुद्दे पर एकजुट हो और वैसा ही हो रहा है। साथ ही कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की भी स्थिति इंडिया गठबंधन में कमजोर हुई है। ममता बनर्जी की ओर से जब सवाल खड़े किए जाते हैं तो बीजेपी को राहुल गांधी पर निशाना साधने का मौका मिल जाता है। ममता बनर्जी के बयानों को आधार बनाते हुए बीजेपी की ओर से तंज कसा गया कि इंडिया गठबंधन में कोई भी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विश्वास नहीं करता।
मॉनसून सत्र से शीतकालीन सत्र आते ही सब कुछ बदल गया
लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद मॉनसून सत्र में जहां पूरा विपक्ष एकजुट दिखाई दे रहा था वही शीतकालीन सत्र आते मानो विपक्षी एकता की गर्माहट गायब हो गई। पहले हरियाणा और फिर महाराष्ट्र में हार के बाद कांग्रेस पर सबसे बड़ा अटैक टीएमसी की ओर से किया जाता है। टीएमसी की ओर से कहा गया कि अब वक्त आ गया कि ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन की अगुवाई करनी चाहिए। इतना ही नहीं अडानी मुद्दे पर जहां कांग्रेस ने मोर्चा खोला तो वहीं टीएमसी पीछे हटते हुए दिखी। कांग्रेस को टीएमसी का बिल्कुल भी साथ नहीं मिला। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में इंडिया गठबंधन के कामकाज पर असंतोष व्यक्त किया और मौका मिलने पर इसकी कमान संभालने के अपने इरादे का संकेत भी दिया।
समाजवादी पार्टी को रास नहीं आ रहा कांग्रेस का स्टैंड
अडानी मुद्दे को जहां कांग्रेस की ओर से उठाया जा रहा है वहीं समाजवादी पार्टी खुलकर इस मुद्दे पर उसके साथ खड़ी नहीं दिख रही है। कांग्रेस सांसदों के विरोध प्रदर्शन में भी सपा के सांसद नजर नहीं आए। यूपी उपचुनाव में ही दोनों के बीच कड़वाहट देखने को मिली भले ही खुलकर किसी भी दल की ओर से कुछ नहीं बोला गया। वहीं अब संभल मुद्दे पर सपा को कांग्रेस का स्टैंड बिल्कुल भी रास नहीं आया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के संभल जाने की कोशिश सपा को रास नहीं आई। सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि कांग्रेस संसद में संभल मुद्दे को उठा नहीं रही और राहुल गांधी संभल जा रहे हैं। टीएमसी और सपा के साथ ही इंडिया गठबंधन के कुछ और साथी भी कांग्रेस का बिना नाम लिए सवाल उठा रहे हैं।
ममता और केजरीवाल अलग राह पर
टीएमसी सवाल खड़े कर रही है तो वहीं अरविंद केजरीवाल भी पुरानी राह पर लौटते हुए दिखाई दे रहे हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा हुई लेकिन गठबंध नहीं हुआ। जब नतीजे कांग्रेस के पक्ष में नहीं आए तो कांग्रेस पर सवाल उठे। कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के दूसरे दलों ने नसीहत दी कि यदि साथी दलों को मिलाकर लड़े होते तो नतीजे कुछ बेहतर होते। पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की करारी हार के बाद अरविंद केजरीवाल की पार्टी की ओर से पहले ही यह ऐलान कर दिया गया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होगा और पार्टी अकेले लड़ेगी। लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस और AAP मिलकर लड़े थे तो वहीं विधानसभा चुनाव में एक दूसरे पर तीर चलाए जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन तो दूर इसकी बात भी कोई नहीं करना चाह रहा।
बीजेपी अपनी पिच पर खिलाने लगी विपक्ष को
राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि राहुल गांधी इंडिया गठबंधन में अपने हिसाब से राजनीति करना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि पूरा विपक्ष अडानी मुद्दे पर उनकी हां में हां मिलाए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा। सपा और टीएमसी वैसे भी कांग्रेस की इस वाली राजनीति से सहमत नहीं। विपक्ष के भीतर भी एक विपक्ष नजर आ रहा है। बीजेपी कभी नहीं चाहेगी कि पूरा विपक्ष किसी मुद्दे पर एकजुट हो और वैसा ही हो रहा है। साथ ही कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की भी स्थिति इंडिया गठबंधन में कमजोर हुई है। ममता बनर्जी की ओर से जब सवाल खड़े किए जाते हैं तो बीजेपी को राहुल गांधी पर निशाना साधने का मौका मिल जाता है। ममता बनर्जी के बयानों को आधार बनाते हुए बीजेपी की ओर से तंज कसा गया कि इंडिया गठबंधन में कोई भी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विश्वास नहीं करता।
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